नाटक और एकाकी में तीन अंतर
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नाटक क्या है !!
नाटक काव्य का हिस्सा है जो दृश्य काव्य में आता है. इसे यदि आसान भाषा में समझाया जाये तो जो लोग थिएटर, टीवी, रेडियो पे किसी कहानी को विस्तार में प्रस्तुत करते हैं वो भी अभिनय करते हुए. उसे ही हम नाटक कहते हैं. नाटक में कई पात्र होते हैं जिन सभी के अपने नाम होते हैं और उन्हें अपने अपने किरदार के अनुसार अभिनय करना होता है. नाटक में कई लोग मिलके परफॉर्म करते हैं और इसमें किसी भी वाक्या को या कोई पूरी कहानी को भाव के साथ हाथ, पैर, आंख, चेहरा सभी का प्रयोग करके लोगों के सामने उसे ऐसे प्रस्तुत करते हैं जैसे कि वो हमारे सामने ही घटित कहानी है.
एकांकी क्या है !!
किसी एक अंक वाले नाटक को एकांकी कहा जाता है. अंग्रेजी में इसे हम “वन ऐक्ट प्ले” शब्द से जानते हैं और हिंदी में इसे “एकांकी नाटक” और “एकांकी” के नाम से जाना जाता है. एकांकी का अर्थ होता है कि जब किसी नाटक में किसी एक व्यक्ति का ही पूरा वर्णन हो वो भी उसकी युवावस्था के बाद तो हम उसे एकांकी कहते हैं. ये अधिक विस्तार में नहीं होती है और इसकी गति तीव्र होती है अभिनय के समय. ये भी नाटक की तरह थिएटर, टीवी, रेडियो आदि पे अभिनय के जरिये प्रस्तुत किया जाता है.
Explanation:
नाटक और एकांकी में क्या अंतर है |
# नाटक में अनेक अंक होते हैं जबकि एकांकी में केवल एक अंक पाया जाता है अर्थात नाटक में कई लोगों के बारे में प्रस्तुति की जाती है जैसे कि “सीमा, उसकी सखी ललिता, उसके पिता मोहनदास, उसकी माता शीला आदि ” और एकांकी में केवल “सीमा के बारे में ही बताया जायेगा.”
# नाटक में आधिकारिक के साथ उसके सहायक और गौण कथाएं भी होती हैं जबकि एकांकी में एक ही कथा का वर्णन होता है.
# नाटक में किसी भी पात्र या चरित्र का क्रमश विकास दिखाया जाता है जबकि एकांकी में चरित्र पूर्णतः विकसित रूप से दिखाया जाता है.
# नाटक की विकास प्रक्रिया धीमी होती है जबकि एकांकी की विकास प्रक्रिया बहुत तीव्र होती है.
# नाटक में कथानक में फैलाव और विस्तार होता है जबकि एकांकी में घनत्व होता है अर्थात नाटक में हम और पात्र और कहानी को बढ़ा सकते हैं जबकि एकांकी में ऐसा नहीं किया जा सकता.