Hindi, asked by shivambairagi7110, 2 months ago

निंदा का आनंद कब मिलता है।​

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Answered by dhanushende00
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Answer:

हमारा प्रिय शगल है दूसरों की निंदा करना। सदैव दूसरों में दोष ढूंढते रहना मानवीय स्वभाव का एक बड़ा अवगुण है। दूसरों में दोष निकालना और खुद को श्रेष्ठ बताना कुछ लोगों का स्वभाव होता है। इस तरह के लोग हमें कहीं भी आसानी से मिल जाएंगे।

परनिंदा में प्रारंभ में काफी आनंद मिलता है लेकिन बाद में निंदा करने से मन में अशांति व्याप्त होती है और हम हमारा जीवन दुःखों से भर लेते हैं। प्रत्येक मनुष्य का अपना अलग दृष्टिकोण एवं स्वभाव होता है। दूसरों के विषय में कोई अपनी कुछ भी धारणा बना सकता है। हर मनुष्य का अपनी जीभ पर अधिकार है और निंदा करने से किसी को रोकना संभव नहीं है।

लोग अलग-अलग कारणों से निंदा रस का पान करते हैं। कुछ सिर्फ अपना समय काटने के लिए किसी की निंदा में लगे रहते हैं तो कुछ खुद को किसी से बेहतर साबित करने के लिए निंदा को अपना नित्य का नियम बना लेते हैं। निंदकों को संतुष्ट करना संभव नहीं है।

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