Hindi, asked by riam74597, 2 months ago

निंदा की महिमा का वर्णन कीजिए​

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Answered by mishraratna65
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Answer:

उत्तर: निन्दक लोग जहाँ कहीं इकट्ठे हो जाते हैं, वहाँ वे दूसरों की निन्दा में इतने तन्मय हो जाते हैं कि उन्हें अन्यों की चिन्ता ही नहीं होती। जितनी एकाग्रता और तन्मयता कोई भक्त भी भगवान के ध्यान में नहीं लगाता हो, उतनी ये निन्दा करने में लगा देते हैं।

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