नंद नंदन विशेषण किसके लिए प्रयुक्त हुआ है।
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O नंद-नंदन विशेषण किसके लिए प्रयुक्त हुआ है।
► ‘नंद नंदन’ विशेषण श्री कृष्ण के लिए प्रयुक्त हुआ है। यहाँ पर नंद से तात्पर्य नंदराय से है, जो श्री कृष्ण के पालक पिता थे। जबकि नंदन का अर्थ पुत्र होता है। चूँकि श्री कृष्ण नंद राय के घर पर ही पुत्र के रूप में पले-बढ़े इसलिए उन्हें ‘नंद-नंदन’, ‘नंदलाल’ जैसे नामों से संबोधित किया जाता है। इसलिए यहां पर नंद-नंदन विशेषण श्री कृष्ण के लिए प्रयुक्त हुआ है। सूरदास जी कहते हैं ...
केतिक दूरि गयौ रथ माई ?
नंद-नँदन के चलत सखी हौं, हरि कौं मिलन न पाई ।।
कृष्ण के जाने बृज छोड़कर मथुरा जाने की बेला में एक गोपी अपनी सखी से कहती है, सखी! रथ कितनी दूर गया होगा। हाय मेरा दुर्भाग्य जो मैने श्यामसुंदर नंद-नंदन से जाते समय मिल भी न सकी।
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नंद नंदन विशेषण किसके लिए प्रयुक्त हुआ है।
नंद नंदन विशेषण बाबा के पुत्र श्री कृष्ण जी के लिए प्रयुक्त हुआ है|
गोपी ने कृष्णा के जन्मोत्सव और उनके सौंदर्य के व्यापक का वर्णन इस प्रकार किया है, गोपियों ने कृष्ण के प्रति अपने प्रेम को एक पक्षी के उदाहरण के माध्यम से अभिव्यक्त किया है | गोपियाँ अपने आप को पक्षी व श्रीकृष्ण को लकड़ी की भाँति बताया है।