नाद रीझि तन देत मृग ,नर धन हेत समेत।
ते रहीम पशु से अधिक ,रिजेहु कछु न देत ।
बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय ।
रहिमन फाटे दूध को ,मथे न माखन होय
(ख) पहले दोहे का भाव स्पष्ट कीजिए ।
(ग) दूसरे दोहे में कवि क्या कहना चाहता है?
Answers
Answer:
नाद रीझि तन देत मृग, नर धन हेत समेत ।
ते ‘रहीम’ पसु से अधिक, रीझेहु कछू न देत ॥
अर्थ
गान के स्वर पर रीझ कर मृग अपना शरीर शिकारी को सौंप देता है। और मनुष्य धन-दौलत पर प्राण गंवा देता है। परन्तु वे लोग पशु से भी गये बीते हैं, जो रीझ जाने पर भी कुछ नहीं देते।
अर्थ - रहीम कहते हैं कि संगीत की तान पर रीझकर हिरन शिकार हो जाता है। उसी तरह मनुष्य भी प्रेम के वशीभूत होकर अपना तन, मन और धन न्यौछावर कर देता है लेकिन वह लोग पशु से भी बदतर हैं जो किसी से खुशी तो पाते हैं पर उसे देते कुछ नहीं है
बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय. रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय.
अर्थ : मनुष्य को सोचसमझ कर व्यवहार करना चाहिए,क्योंकि किसी कारणवश यदि बात बिगड़ जाती है तो फिर उसे बनाना कठिन होता है, जैसे यदि एकबार दूध फट गया तो लाख कोशिश करने पर भी उसे मथ कर मक्खन नहीं निकाला जा सकेगा.
अर्थ जब बात बिगड़ जाती है तो किसी के लाख कोशिश करने पर भी बनती नहीं है। उसी तरह जैसे कि दूध को मथने से मक्खन नहीं निकलता।
Explanation:
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इसीलिए रहीम ने कहा है कि हमें सभी कला का सम्मान करना चाहिए और सभी सभी तरह की कला का उपयोग करना चाहिए अपने स्वार्थ के लिए नहीं बल्कि दूसरों के सुखी जीवन के लिए
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