निद्रश-निम्नलिखित गद्यांशों पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिये-
१. हम लोग ऐसे समय में समाज में प्रवेश करके अपना कार्य आरम्भ करते हैं, जबकि हमारा चित्त कोमल और
हर तरह का संस्कार ग्रहण करने योग्य रहता है, हमारे भाव अपरिमार्जित और हमारी प्रवृत्ति अपरिपक्व रहती है। लो
कच्ची मिट्टी की मूर्ति के समान रहते हैं, जिसे जो जिस रूप का चाहे उस रूप का करे-चाहे राक्षस बनावे, चाहे देवता। ऐसे
लोगों का साथ करना हमारे लिए बुरा है, जो हमसे अधिक दृढ़ संकल्प के हैं क्योंकि हमें उनकी हर एक बात बिना विरोध के
मान लेनी पड़ती है। पर ऐसे लोगों का साथ करना और बुरा है, जो हमारी ही बात को ऊपर रखते हैं, क्योंकि ऐसी दशा में न तो
हमारे ऊपर कोई दवाव रहता है और न हमारे लिए कोई सहारा रहता है।
प्रश्न-(क) गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिये।
(२००३)
(ख) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिये।
(२००३)
(ग) हम लोग कच्ची मिट्टी की मूर्ति के समान रहते हैं -इस वाक्य में हम लोग से किसकी ओर संकेत
किया गया है?
(२००३)
(घ) समाज में प्रवेश करते समय व्यक्ति की अवस्था कैसी होती है?
) किन लोगों का साथ करना सबसे बुरा होता है?
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Explanation:
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