(ङ) दूसरे पद की 'जाकी छोति जगत कउ लागै ता पर तुहीं ढरै' इस पंक्ति का आशय स्पष्ट
कीजिए
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गरीब और निम्नवर्ग के लोगों को समाज कभी सम्मान नहीं देता | सदैव उनसे दूरी बनाये रखता है लेकिन ईश्वर कभी आमिर गरीब में भेदभाव न कर उन पर दया, उनकी मदद करते हैं और साथ ही उनकी पीड़ा भी हर लेते हैं|
Explanation:
- दी गई पंक्तियाँ हमारी हिंदी की कक्षा नौंवी की पाठ्यपुस्तक से लिया गया है|
- रैदास जी ने अपनी पंक्तियों के जरिये गरीब लोगों का समाज में अपमान और ईश्वर के बिना किसी भेदभाव के उन पर दया भाव को दर्शाया है|
- गरीब और निम्नवर्ग के लोगों को समाज कभी सम्मान नहीं देता | सदैव उनसे दूरी बनाये रखता है लेकिन ईश्वर कभी आमिर गरीब में भेदभाव न कर उन पर दया, उनकी मदद करते हैं और साथ ही उनकी पीड़ा भी हर लेते हैं|
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Answer:
जाकी छोति जगत कउ लागै' का अर्थ है जिसकी छूत संसार के लोगों को लगती है और 'ता पर तुहीं ढरै' का अर्थ है उन पर तू ही (दयालु) द्रवित होता है। पूरी पंक्ति का अर्थ है गरीब और निम्नवर्ग के लोगों को समाज सम्मान नहीं देता। उनसे दूर रहता है।
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