नंद-धाम खेलत हरि/डोलत। जसुमत करत रसोई/भीतर आपून्हु किलकत बोलत तेरी उठी जसुमत महिने को आवौ चरन चलाई। बैन सुनत माता पहिचानी चले छुटुरूअह धाई ।। लए उँचाई अंचल ते पोछी, धूरि भरी सब देह । 'सूर' प्रभु जसुमत रज झारत, कहाँ भरी ये खेह ।।
Answers
Answered by
0
Answer:
vvf
Explanation:
cvcv
Similar questions