नंद वंश और मगध वंश के पतन के कारण लिखिए
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नंदवंश प्रचीन भारत का सबसे क्रूर किन्तु प्रथम शक्तिशाली शुद्र वंश था, जिसके संस्थापक महापद्मनंद थे। महापद्मनंद शिशुनाग वंश के अंतिम शासक महानन्दि की दासी के गर्भ से हुआ था, और बाद मे महापद्मनंद ने अपने पिता की हत्या कर दी और खुद राजा बन गया।
नन्दवंश के पतन का मूल कारण इनके अत्याचार थे, इनके शासनकाल मे प्रजा पर बहुत अत्याचार हुये।
चन्द्रगुप्त मौर्य और चाणक्य ने मिलकर नंदवंश का सर्वनाश किया था और मगध की प्रजा को भयमुक्त किया।
मगध प्राचीन भारत के 16 महाजनपदों में से एक था। आधुनिक पटना तथा गया जिला इसमें शामिल थे। इसकी राजधानी गिरिव्रज (वर्तमान राजगीर) पाटलिपुुुत्र थी। भगवान बुद्ध के पूर्व बृहद्रथ तथा जरासंध यहाँ के प्रतिष्ठित राजा थे।[1] अभी इस नाम से बिहार में एक प्रंमडल है - मगध प्रमंडल।
500 ईसा पूर्व मगध साम्राज्य
मगध का सर्वप्रथम उल्लेख अथर्व वेद में मिलता है। अभियान चिन्तामणि के अनुसार मगध को कीकट कहा गया है।
मगध बुद्धकालीन समय में एक शक्तिशाली राजतन्त्रों में एक था। यह दक्षिणी बिहार में स्थित था जो कालान्तर में उत्तर भारत का सर्वाधिक शक्तिशाली महाजनपद बन गया। यह गौरवमयी इतिहास और राजनीतिक एवं धार्मिकता का विश्व केन्द्र बन गया।
मगध महाजनपद की सीमा उत्तर में गंगा से दक्षिण में विन्ध्य पर्वत तक, पूर्व में चम्पा से पश्चिम में सोन नदी तक विस्तृत थीं।
मगध की प्राचीन राजधानी राजगृह थी। यह पाँच पहाड़ियों से घिरा नगर था। कालान्तर में मगध की राजधानी पाटलिपुत्र में स्थापित हुई। मगध राज्य में तत्कालीन शक्तिशाली राज्य कौशल, वत्स व अवन्ति को अपने जनपद में मिला लिया। इस प्रकार मगध का विस्तार अखण्ड भारत के रूप में हो गया और प्राचीन मगध का इतिहास ही भारत का इतिहास