Hindi, asked by maamansha26, 1 month ago

निंदक नेड़ा राखिए, आँगणि कुटी बँधाइ । बिन साबुन पानी बिना, निर्मल करे सुभाइ || सुखिया सब संसार है, खायै अरु सौवै ।दुखिया दास कबीर है, जागै अरू रोवै ॥ (क) दिए गए दोहे का शिल्प सौंदर्य लिखें ।

Answers

Answered by bhatiamona
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निंदक नेड़ा राखिए, आँगणि कुटी बँधाइ।

बिन साबुन पानी बिना, निर्मल करे सुभाइ।।

शिल्प सौंदर्य : काव्य की भाषा शैली एवं सरल है। काव्य में सधुक्कड़ी भाषा का प्रयोग किया गया है। दोहा अपनी भावाभियक्ति करने में पूर्णतः सक्षम है। ‘निंदक नेड़ा’ में अनुप्रास अलंकार है।

इस दोहे में निंदक के महत्व को दर्शाया गया है। निंदक को अपना परम हितैषी समझना चाहिए ।

सुखिया सब संसार है, खायै अरु सौवै।

दुखिया दास कबीर है, जागै अरू रोवै।।

शिल्प सौंदर्य : काव्य की भाषा शैली एवं सरल है। काव्य में सधुक्कड़ी भाषा का प्रयोग किया गया है। दोहा अपनी भावाभियक्ति करने में पूर्णतः सक्षम है। ‘दुखिया सब’ और ‘दुखिया दास’ में अनुप्रास अलंकार है।

इस दोहे में चिंतनशील मनुष्य की व्याकुलता को प्रदर्शित किया गया है, और बताया गया है कि ईश्वर की भक्ति करना सरल बात नही है।

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