Hindi, asked by vinodgathibande06, 6 months ago

• 'निंदक नियरे राखिए' इस पंक्ति के बारे में अपने विचार लिखिए।
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Answers

Answered by shishir303
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‘निंदक नियरे राखिए’ कबीर के दोहे ही इन पंक्तियों में अपने निंदकों यानि अपनी आलोचना करने का भाव प्रकट होता है, यानि अपने आलोचकों का भी सम्मान करना चाहिए। उनकी आलोचना से आहत होने की जगह उन कमियो को सुधारने का प्रयत्न करना चाहिये जिनके बारे वे में निंदक बोलते हैं। यदि हमें अपनी बुराइयों का पता नही चलेगा तो हमारे अंदर अहंकार आ सकता है, जो पतन का कारण बन सकता है।

यहाँ पर समझते हैं...

निंदक नियरे राखिए, ऑंगन कुटी छवाय।  

बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय।।

अर्थ ➲ अपनी निंदा और आलोचना करने वाले को हमेशा अपने साथ रखों, क्योंकि वो आपके दोषों को बताते रहेंगे, जिससे आपको अपनी गलती पता चले और आप स्वयं में सुधार कर सको। अर्थात अपनी आलोचना करने वालों से कभी घबराना नही चाहिये बल्कि उनकी बातों पर भी ध्यान देना चाहिये, ये निंदक लोग आपकी अगुण रूपी मैल को हटाने के लिये साबुन का कार्य करते हैं।

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