नीिेददए श्िोक को पढकर उसका दहंदी अथ्लिखें। )
र्प्रयवाक्यप्रदानने सवेतुषयब्न्त जन्तवीः।
तस्मात ् र्प्रयं दह वक्तव्यं विने का दररद्रता।
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