नीड़ों से झाँक रहे होंगे
यह ध्यान परों में चिड़ियों के भरता कितनी चंचलता है
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है! bav sondry
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भाव सौन्दर्य :- उक्त काव्यांश में कवि कह रहे हैं कि वात्सल्य भाव की व्यग्रता सभी प्राणियों में पाई जाती है उक्त पंक्तियों में वात्सल्य रस की प्रधानता है
Explanation:
शिल्प सौन्दर्य :-
1) पक्षियों के बच्चों व्दारा घोंसलों से झाँका जाना गति एवं दृश्य बिम्ब की उपस्थिति प्रर्दशित करता है ।
2) तत्सम शब्दावली की प्रमुखता है ।
3) “ जल्दी-जल्दी ” में पुनरूक्ति प्रकाश अलंकार है।
4) सहज सरल और भावानुकूल खड़ी बोली में सार्थक अभिव्यक्ति है
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