नावे और जहाज नदी नद
सागर जल पर तैरते हैं
पर नाम पर इन से भी सुंदर
जलधर-निकर विचरते हैं
इंद्रधनुष जो स्वर्ग सेतु सा
वृक्षों के शिखरों पर है
जो धरती से नव तक राचता
अद्भुत मार्ग मनोहर है
मनमाने निर्मित नदियों के
पुल से वह अति सुंदर है
निज कृति का अभिमान व्यर्थ ही
करता अविवेकी नर है
Q.1 नभ पर क्या तैरते हैं?
(क) नावें
(ख) जहाज
(ग) पक्षी
(घ) बादल
Q.2 स्वर्ग सेतू किसे कहा गया है?
(क) शिव धनुष को
(ख) राम धनुष को
(ग) काम धनुष को
(घ) सुरेंद्र धनुष को
Q.3 धरती से आकाश तक सुंदर मार्ग की रचना कौन करता है?
(क) इंद्र
(ख) राम
(ग) शिव
(घ) काम
Q.4 “अद्भुत मार्ग मनोहर है”में अलंकार है?
(क) उपमा
(ख) श्लैश
(ग) यमक
(घ) अनुप्रास
Q.5 अपनी निर्मित पर अभिमान कौन करता है?
(क) देवता
(ख) राक्षस
(ग) मानव
(घ) इंद्र
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Q1 - ans-a
Q2-ans-a
Q-3-ans-a
Q-4-ans-d
Q-ans-c
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