नियोजन के 6 सीमाओं की व्याख्या कीजिए
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नियोजन के सीमाओं:
-नियोजन बाहरी सीमाओं से प्रभावित होती है
-नियोजन में अशुद्धि
-नियत परिसंपत्तियों की सीमा में पूंजी निवेश की नियोजन
-बदलने की अनिच्छा
-नियोजन कर्मचारियों की पहल को कम करता है
-नियोजन एक समय लेने वाली प्रक्रिया है
-नियोजन बनाना महंगा है
नियोजन के 6 सीमाओं की व्याख्या कीजिए :
नियोजन की 6 सीमा इस प्रकार है :
पहल का अभाव : नियोजन करना है दूरदर्शी प्रक्रिया होती है। यदि कोई नेतृत्व करता नेतृत्व करने की बजाय सही नेतृत्व प्रदान नहीं कर पाता तो अच्छा नियोजन आकार नहीं ले पाएगा। इसलिए नेतृत्व करता को हमेशा आगे बढ़कर पहल करनी चाहिए।
महंगी प्रक्रिया : नियोजन करना एक समय लेने वाली और आवश्यक धन वाली महंगी प्रक्रिया है। इसमें कभी-कभी बहुत अधिक समय लग सकता है। उसके लिए पर्याप्त धैर्य और समय की आवश्यकता होती है। यदि नियोजन कर्ता है यह नहीं कर पाता तो नियोजन असफल हो सकता है।
परिवर्तन की स्वीकार्यता : किसी भी नियोजन को करते समय किसी भी तरह के परिवर्तन को स्वीकार करना आवश्यक है। परिवर्तन का विरोध नियोजन की सफलता पर प्रभाव डाल सकता है।
बाहरी कारक : कभी-कभी नियोजन किसी बाहरी कारकों से प्रभावित होता है, जो नियोजन कर्ता के हाथ में नहीं होता। ऐसे में नियोजन कर्ता के लिए मुश्किल स्थिति पैदा हो जाती है।
मनोवैज्ञानिक कारण : नियोजन कर्ता की मानसिक स्थिति नियोजन पर प्रभाव डालती है। लोग वर्तमान और भविष्य को कैसे देखते हैं। उनके दृष्टिकोण पर नियोजन की सफलता निर्भर करती है।
तथ्यों और आंकड़ों की कमी : पर्याप्त तथ्यों और आंकड़ो लोगों की कमी नियोजन की सफलता में बाधा उत्पन्न कर सकती है। किसी नियोजन को सफल बनाने के लिए पर्याप्त और आंकड़ों की विश्वसनीयता होनी चाहिए।
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