न्यास धारिता ट्रस्टीशिप के सिद्धांत का प्रतिपादन किसने किया
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गांधीजी का ट्रस्टीशिप सिद्धांत' पर ‘म.गां.अ.हिं.वि.वर्धा’ में हुआ समूह अध्ययन चर्चा
गांधी विचार मंच द्वारा चलाये जा रहे 'समूह अध्ययन चर्चा श्रृंखला' के दूसरे सप्ताह के विषय 'गांधीजी का ट्रस्टीशिप सिद्धांत' पर व्यापक चर्चा में गांधीवाद के चार प्रमुख आयाम : सत्य, अहिंसा, स्वावलंबन और न्यासिता में न्यासिता (ट्रस्टीशिप) का सिद्धांत आज भी प्रासंगिक और क्रांतिकारी आर्थिक सिद्धांत है। जो पूँजीवाद और मार्क्सवाद के बीच का प्रकृति संमत रास्ता है। इस सिद्धांत के आधार पर विश्व शांति, न्याय और आर्थिक समानता के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।
चर्चा में दो प्रमुख बातें उभर कर सामने आई, एक तो पूँजीवाद के कारण बेरोजगारी दुनिया-भर में बढ़ी है और श्रम की महत्ता कम हुई है. वहीं दूसरी ओर बेरोजगारी ने समाज की सबसे छोटी इकाई परिवार को कमजोर किया है जिसने घरेलू हिंसा के साथ-साथ पति-पत्नी के रिश्ते को बड़े पैमाने पर तोड़ने का काम किया. जबकि ट्रस्टीशिप सिद्धांत में इन सरे समस्या का समाधान है, इस बात को समझते हुए डॉ राममनोहर लोहिया ने इसे कानून का रूप देनें का कोशिश तो किया पर सफल नहीं हो पाये. उसके बाद पूर्व सांसद डॉ रामजी सिंह ने भी प्रयास किया लेकिन यहाँ भी सफलता नहीं मिली.