नियंत्रण की आधुनिक विधियां समझाइए।
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पारंपरिक नियंत्रण तकनीक:
इस उद्देश्य के लिए प्रबंधन को मानकों का निर्धारण करना चाहिए ताकि उनके साथ आसानी से तुलना की जा सके। इस उद्देश्य के लिए कई तकनीकों का विकास किया गया है। उनमें से पारंपरिक जैसे कि बजट और बजटीय नियंत्रण, लागत नियंत्रण, उत्पादन योजना और नियंत्रण, सूची नियंत्रण आदि इसके सबसे अच्छे उदाहरण हैं।
Explanation:
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जीवाणु अति सूक्ष्म जीवधारी हैं। ये इतने अधिक सूक्ष्म होते हैं कि छापे के एक विराम बिंदु में लगभग 2,50,000 जीवाणु समा सकते हैं।
जीवाणु जीवद्रव्य (protoplasm) से निर्मित एककोशीय जीव हैं। ये एककोशिका भित्ति से घिरे रहते हैं तथा पौधे माने जाते हैं। इनमें हरे रंग का द्रव्य नहीं होता, इस कारण ये उच्च पौधों से भिन्न हैं। जीवाणुओं में नाभिक की समस्या लंबे समय तक मतभेद का विषय बनी रही। साधारणत: इनमें अन्य कोशिकाओं की भाँति निश्चित नाभिक नहीं होता। विभिन्न आधुनिक परीक्षणों से संकेत मिलता है कि इनमें निश्चित नाभिक पिंड होता है तथा नि:संदेह एक या दो नाभिकीय कणिकाएँ अथवा गुणसूत्र (chromosomes) रहते हैं। बीजाणु बनाने में इन नाभिकीय कणिकाओं का व्यवहार नाभिक जैसा ही है। इस नाभिक पदार्थ में डीऑक्सीराइबोज न्यूक्लीइक अम्ल (Deoxyribose nucleic acid) होता है जो कोशिका के अंदर ही विशिष्ट प्रकार के नाभिक रंजक पदार्थों द्वारा पहचाना जा सकता है।
जीवाणुओं की आकृति सरल होती है। इसके तीन मुख्य प्रकार हैं-गोलाकार या कोकस (Coccus), शलाकार या बैसिलस तथा सर्पिल, घुमावदार या स्पाइरिलम (Spirillum)। जीवाणुओं के कुछ आकार चित्र 1. में दिखाए गए हैं। बहुत से जीवाणु
क. गोलाकार या कोकाइ; ख. सर्पिल या स्पाइरिलम तथा ग. शलाकाकार या बैसिलाइ। कोड़े जैसे उपांगों से युक्त होते हैं। ये उपांग जीव द्रव्य के प्रक्षेप (projections) होते हैं तथा इनको कशाभ (flagella) कहते हैं (चित्र 2)। कशाभ तेजी से हिलने की क्रिया द्वारा जीवों को द्रव में आगे बढ़ाते हैं।
कुछ जीवाणुओं में यह क्षमता होती है कि वे छोटे अंडाकार या गोलाकार रूप धारण कर लें। इन प्रतिरोधी रूपों को बीजाणु (spores) या एंडोस्पोर (endospore) कहते हैं।
धन्यवाद।