नियंत्रण लेखा विधि से आप क्या समझते है
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नियन्त्रण की सीमा' का अर्थ संपादित करें
नियन्त्रण की सीमा, क्षेत्र या विस्तार का सम्बन्ध इस बात से है कि उच्च पदाधिकारी अपने अधीन कितने कर्मचारियों के कार्य का नियंत्रण कर सकता है। नियन्त्रण की सीमा वास्तव में निगरानी की सीमा है। संगठन में सोपानों की संख्या वास्तव में इसी से निर्धारित होती है। नियन्त्रण का विस्तार क्षेत्र उन अधीनस्थों या संगठन की इकाईयों की संख्या है जिनका निदेशन प्रशासन स्वयं करता है। यह अवधारणा वी. ग्रेक्यूनस द्वारा वर्णित 'ध्यान के विस्तार क्षेत्र' के सिद्धान्त से सम्बन्धित है। मानवीय क्षमता की भी सीमाएं होती है। यदि नियन्त्रण का क्षेत्र बहुत अधिक विस्तृत कर दिया जाता है तो उसके परिणाम असन्तोषजनक होते हैं। प्रसिद्ध लेखक डिमॉक के शब्दों में, नियन्त्रण का क्षेत्र किसी उद्यम की मुख्य कार्यपालिका तथा उसके प्रमुख साथी कार्यालयों के बीच सीधे तथा सामान्य संचार की संख्या एवं क्षेत्र से है। इस सिद्धान्त का औचित्य इस तथ्य में निहित है कि मानवीय ज्ञान की कुछ सीमाएं होती हैं यदि इन सीमाओं से आगे हम उसे कार्य करने के लिए बाध्य करेंगे तो इसके परिणाम खतरनाक हो सकते हैं। वह अपने उत्तरदायित्व का पूरी तरह से निर्वाह नहीं कर पाएगा और उसकी शक्ति अव्यवस्थित हो जाएगी।
'नियन्त्रण की सीमा' से हमारा अभिप्राय अधीनस्थ कर्मचारियों की उस संख्या से है, जिसके कार्यों का अधीक्षण एक अधिकारी क्षमतापूर्वक कर सकता है। दूसरे शब्दों में नियन्त्रण की सीमा से आशय अधीनस्थ कर्मचारियों की उस संख्या से है जिस पर उच्च अधिकारी प्रभावशाली नियन्त्रण रख सकता है।