न्याय के साथ वृद्धि की धारणा
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यह तय करना मानव-जाति के लिए हमेशा से एक समस्या रहा है कि न्याय का ठीक-ठीक अर्थ क्या होना चाहिए और लगभग सदैव उसकी व्याख्या समय के संदर्भ में की गई है। मोटे तौर पर उसका अर्थ यह रहा है कि अच्छा क्या है इसी के अनुसार इससे संबंधित मान्यता में फेर-बदल होता रहा है। जैसा कि डी.डी. रैफल का मत है-
'न्याय द्विमुख है, जो एक साथ अलग-अलग चेहरे दिखलाता है। वह वैधिक भी है और नैतिक भी। उसका संबंध सामाजिक व्यवस्था से है और उसका सरोकार जितना व्यक्तिगत अधिकारों से है उतना ही समाज के अधिकारों से भी है।... वह रूढ़िवादी (अतीत की ओर अभिमुख) है, लेकिन साथ ही सुधारवादी (भविष्य की ओर अभिमुख) भी है।’
Answer:
न्याय का अर्थ है सभी के साथ समानता का व्यवहार।किसी के साथ भेदभाव न हो।जब भी समाज में असमानता आती है इसका मतलब यही होता है कि समाज के कुछ समूहों के साथ भेदभाव हुआ है जिससे वे विकास की मुख्यधारा से अलग हो गए हैं। सभी वंचित समूहों को उनके अधिकार दिलाकर उनके सामाजिक आर्थिक विकास को गति देना ही न्याय कै साथ वृद्धि है।
लोकतंत्र की सफलता के लिए सभी वंचित समुदायों को साथ लेकर चलना जरूरी है। वंचित वर्गों को विकास नहीं होगा तो राष्ट्रोन्नति संभव नहीं।