न्याय क्या है?
तमाम संस्कृतियों और परंपराओं को न्याय के प्रश्न से जूझना पड़ा है, भले ही उन्होंने इस
अवधारणा की व्याख्या भिन्न-भिन्न तरीकों से की हो। उदाहरण के लिए, प्राचीन भारतीय
समाज में न्याय धर्म के साथ जुड़ा था और धर्म या न्यायोचित सामाजिक व्यवस्था कायम रखना
राजा का प्राथमिक कर्त्तव्य माना जाता था। चीन के दार्शनिक कन्फ्यूशस का तर्क था कि गलत
करने वालों को दंडित कर और भले लोगों को पुरस्कृत कर राजा को न्याय कायम रखना
चाहिए। ईसा पूर्व चौथी सदी के एथेंस (यूनान) में प्लेटो ने अपनी पुस्तक 'द रिपब्लिक' में
न्याय के मुद्दों पर चर्चा की है। सुकरात और उनके युवा मित्रों, ग्लाउकॉन और एडीमंटस के
बीच लंबी वार्ता के जरिए प्लेटो ने दिखाया कि हमारा न्याय से सरोकार होना चाहिए।
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2न्याय व्यक्तिमात्र के प्रति संवेदना, करुणा एवं समानता की भावना से जन्मता है. वही समाज में शुभत्व की स्थापना करता है. आधुनिक संदर्भों में वह पश्चिम में विकसी एक महत्त्वपूर्ण नैतिक एवं राजनीतिक संकल्पना है. न्याय के अंग्रेजी पर्याय Justice शब्द की उत्पत्ति लैटिन मूल के Jus शब्द से हुई है, जिसका अभिप्राय ‘विधि’ अथवा ‘सन्मार्ग’ से है. आ॓क्सफोर्ड शब्दकोश के अनुसार Just शब्द का आशय ऐसे व्यक्ति से है जो नैतिकता के उच्च मानदंड के अनुसार सही है; तथा दूसरों के साथ ऐसा व्यवहार करता है, जो नैतिकता की दृष्टि से खरा और प्रभावी है. प्रकारांतर में श्रनेज शब्द से भी उसी धारणा की ओर संकेत मिलता है. न्याय–भावना को दर्शाते हैं. इसके मायने केवल कानून और अदालतों तक सीमित नहीं हैं. बल्कि उससे कहीं अधिक व्यापक, मनुष्यता के शिखर की ओर इशारा करने वाले हैं. न्याय मानवीकरण की सफलता को दर्शाता है. कभी–कभी fair शब्द को भी न्याय के पर्यायवाची के रूप में प्रयुक्त किया जाता है.