न्याय पंचायत का गठन किस प्रकार किया जाता है?
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न्याय पंचायत में एक सरपंच और उपसरपंच होते है। न्याय पंचायत में कम से कम 10 या अधिक से अधिक 25 तक सदस्य होते है।न्याय पंचायत भारत में ग्राम-स्तर पर विवाद समाधान की एक प्रणाली है। इसका काम प्राकृतिक न्याय के व्यापक सिद्धांत पर आधारित रहते हुए बहुत सरल बनाया जा सकता है। इनको दिवानी के अलावा कुछ छोटे आपराधिक क्षेत्राधिकार भी दिया जा सकता है। लेकिन उनसे कभी सिविल प्रक्रिया संहिता या दण्ड प्रक्रिया संहिता का पूर्णतः पालन करने की अपेक्षा नहीं की जानी चाहिये।वर्तमान समय में गाँव के छोटे 2 विवाद थाने व कचेहरी के चक्रव्यूह में फंस कर रह जा रहे हैं .गरीब आदमी को समय पर सस्ता न्याय मिलना असंभव सा होगया है .न्याय पंचायत के माध्यम से समय पर लगभग निःशुल्क न्याय मिल सकता है .अधिनियम में भारतीय दंड संहिता ( IPC) की ऐसी 39 धाराएँ न्याय पंचायत के अधीन है जिसके अंतर्गत लगभग वे सभी विवाद आते है जो सामान्यतया वहां होते है .वर्ष 1977 तक न्याय पंचायतें कम कर रही थीं .गाँव के 80प्रतिशत विवादों में इसी मंच पर समझोता हो जाता था .बाकी में सहज तरीके से सुनवाई करके न्याय हो जाता था . लेकिन 77 के बाद से यह प्रक्रिया रुक गई है .पिछले 40 साल से न्याय पंचायतों के गठन की प्रक्रिया राज्यसरकार की ओर से प्रारंभ ही नहीं की गई . जबकि अधिनियम में आज भी उसका प्रावधान यथावत है .