(ङ) यदि पेड़ दिया गया श्रेय स्वयं ले लेता, तो आप पेड़ के बारे में क्या सोचते?
Answers
Answer:
आशा है कि आप समझ गए होंगे
Explanation:
यदि आपको पता चले कि पेड़-पौधे भी सचमुच हमारी तरह सोच सकते हैं, तो आपको कैसा लगेगा? हममें से ज्यादातर लोग अपने घरों में पौधे लगाते हैं और जानते हैं कि पेड़-पौधों में भी जीवन होता है, लेकिन उनके प्रति हमारा व्यवहार प्राकृतिक सौंदर्य को शोभा की वस्तु बना देने तक ही सीमित रहता है। अपने पालतू पशुओं को जितना प्यार और दुलार हम देते हैं, उतना पेड़-पौधों को कहां दे पाते हैं? कल्पना कीजिए कि पेड़-पौधों को इसका बोध हो और वे सचमुच हमारी तरह सोचते हों, तो उन्हें कैसा लगेगा?
पर यह हमें कभी पता नहीं चल पाएगा, क्योंकि पेड़-पौधों के हमारी तरह आंख-कान और मस्तिष्क नहीं होते। उनकी बुद्धि और संवेदना का स्तर अलग है। लेकिन अगर बुद्धि का मतलब है, किसी समस्या को समझकर उसे सुलझा लेने की क्षमता तो पेड़-पौधे हमें काफी कुछ सिखा सकते हैं। आप जानते ही हैं कि हमारे महान वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस ने 1920 के दशक में यह स्थापना दी थी कि पेड़-पौधे अपने संसार की संवेदनात्मक पड़ताल करते रहते हैं और फिर एक बुद्धिमान जीव की तरह ही अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं। लेकिन उस समय उनकी बात मजाक में उड़ा दी गई। अब वैज्ञानिकों को ऐसे सबूत मिले हैं, जो बोस की स्थापना को सही साबित करते हैं।
Explanation:
यदि आपको पता चले कि पेड़-पौधे भी सचमुच हमारी तरह सोच सकते हैं, तो आपको कैसा लगेगा? हममें से ज्यादातर लोग अपने घरों में पौधे लगाते हैं और जानते हैं कि पेड़-पौधों में भी जीवन होता है, लेकिन उनके प्रति हमारा व्यवहार प्राकृतिक सौंदर्य को शोभा की वस्तु बना देने तक ही सीमित रहता है। अपने पालतू पशुओं को जितना प्यार और दुलार हम देते हैं, उतना पेड़-पौधों को कहां दे पाते हैं? कल्पना कीजिए कि पेड़-पौधों को इसका बोध हो और वे सचमुच हमारी तरह सोचते हों, तो उन्हें कैसा लगेगा?
पर यह हमें कभी पता नहीं चल पाएगा, क्योंकि पेड़-पौधों के हमारी तरह आंख-कान और मस्तिष्क नहीं होते। उनकी बुद्धि और संवेदना का स्तर अलग है। लेकिन अगर बुद्धि का मतलब है, किसी समस्या को समझकर उसे सुलझा लेने की क्षमता तो पेड़-पौधे हमें काफी कुछ सिखा सकते हैं। आप जानते ही हैं कि हमारे महान वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस ने 1920 के दशक में यह स्थापना दी थी कि पेड़-पौधे अपने संसार की संवेदनात्मक पड़ताल करते रहते हैं और फिर एक बुद्धिमान जीव की तरह ही अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं। लेकिन उस समय उनकी बात मजाक में उड़ा दी गई। अब वैज्ञानिकों को ऐसे सबूत मिले हैं, जो बोस की स्थापना को सही साबित करते हैं।