naad ka prichay ........?
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लेकिन जो नाद स्वर लहरी, दो वस्तुओं के परस्पर घर्षण से अथवा टकराने से पैदा होती है उसे लौकिक नाद कहते हैं। वातावरण पर अपने नाद को बिखेरने के लिये, बाह्य हवा पर कंठ के अँदर से उत्पन्न होने वाली वजनदार हवा जब परस्पर टकराती है, उसी समय कंठ स्थित 'स्वर तंतु' (Vocal Cords) नाद पैदा करते हैं।
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