नभ में झपटत बाज लखि, भूल्यो सकल प्रपंच।
कंपित तन व्याकुल नयन, लावक हिल्यो न रंच।। ras ka name kya hai
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नभ में झपटत बाज लखि, भूल्यो सकल प्रपंच।
कंपित तन व्याकुल नयन, लावक हिल्यो न रंच।।
रस का भेद ➲ भयानक रस
✎... आकाश से झपटते हुए बाज को देखकर बेचारा लावा पक्षी सुध-बुध खो बैठा और उसका शरीर भय से कांपने लगा, उसके नेत्रों की ज्योति मंद पड़ गई। इन पंक्तियों के माध्यम से भय की उत्पत्ति होती है, इस कारण यहाँ पर पर भयानक रस उत्पन्न हो रहा है।
भयानक रस में भय की उत्पत्ति होती है। भयानक रस का स्थाई भाव भय है। इन पंक्तियों में लावा पक्षी आश्रय है और उसका आलंबन बाज है। जिसका उद्दीपन विभाव बाज का झपटना तथा अनुभाव शरीर का कांपना और मित्रों की व्याकुलता है। जिसके कारण संचारी भाव दैन्य, विषाद उत्पन्न हो रहा है।
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