Nadi ki atmakatha in Hindi
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hamari adhuri Kahani..............
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नदी की आत्मकथा हिंदी निबंध 250 शब्द में (Nadi ki Atmakatha Hindi Nibandh)
मैं नदी हूं, मैं आप सभी को अपनी आत्मकथा के बारे में बताने जा रही हूं। किस तरीके से मेरा जन्म हुआ और मैं कहां कहां बहती हुई जाती हूं और अंत में किस में समा जाती हूं।
हिमालय पर्वत से बर्फ पिघलने के कारण मैं इस दुनिया में आई हूं, जब मैं हिमालय से चलती हूं तो बहुत ही कम पानी मुझ में होता है। लेकिन जैसे-जैसे मैं आगे की तरफ बढ़ती हूं और मैदानी क्षेत्र की तरफ आती हूं तो मेरा जलस्तर बढ़ जाता है और मैं बहुत चौड़ी भी हो जाती हूं, जब हिमालय से निकलती हूं तो बहुत पतली धारा के रूप में आती हूं।इस भारत की भूमि पर मेरे बहुत से नाम है, कभी गंगा, यमुना, सरस्वती, नर्मदा, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी आदि। बहुत नामों से मुझे इस भारत की भूमि पर सभी लोग जानते हैं।
मैं इस भारत की भूमि पर बहुत सालों से निरंतर बहती आ रही हूं। कभी-कभी इस भूमि पर भूकंप आने की वजह से कुछ जगह ऊंची, तो कुछ जगह नीची हो जाती हैं। इसके लिए मैं अपना रास्ता स्वतः ही बदल लेती हूं। ऐसा हमेशा नहीं होता पर हां बहुत सालों में एक बार ऐसा अवश्य होता है। जहां-जहां से मैं बहती हूं, वहां पर मेरे किनारे पर बहुत से लोग कुछ कच्ची बस्तियां बना लेते है। इसके अलावा जंगली जानवर भी अपना घर बना लेते हैं क्योंकि कहीं ना कहीं उनका जीवन मेरे से ही चलता है।जब बारिश के दिन होते हैं, उन दिनों में मेरे अंदर जल बहुत अधिक हो जाता है, जिसके कारण में बहुत तेजी से बहती हूं अंत में बहती हुई मैं समुद्र में समा जाती हूं।