नए और पुरानी शब्दावली का त्यात आता है जिनके अर्षा विप्र- मित्र संदी में बदल जाते हैं इस तरह हिन्दुस्तान और विदशी शब्द का अभी से भित्र होना
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नवीनतम पाठ्यक्रम के अनुसार प्रस्तुत प्रकरण से कुल 2 अंकों के प्रश्न पूछे जाएँगे।
ध्यातव्य – प्रस्तुत प्रकरण के अन्तर्गत शब्द-रचना/शब्द-भण्डार से सम्बन्धित सामग्री किंचित विस्तार से दी गयी है। विद्यार्थियों को ज्ञान-बोध के लिए सम्पूर्ण सामग्री का अध्ययन करना चाहिए।
शब्द–निश्चित अर्थ को प्रकट करने वाले स्वतन्त्र वर्ण-समूह को शब्द कहते हैं; जैसे–घर, मकानं, विद्यालय, सुन्दरता आदि। ये सभी शब्द वर्गों के मेल से बने हैं। इनका अपना निश्चित अर्थ है। ये स्वयं में स्वतन्त्र इकाइयाँ हैं।
शब्दों का महत्त्व—जिस प्रकार व्यक्ति के बिना समाज नहीं बन सकता, बूंद के बिना जल नहीं बन सकता, उसी प्रकार शब्द के बिना भाषा का निर्माण नहीं हो सकता। हमारे प्रत्येक भाव या विचार शब्दों के द्वारा प्रकट होते हैं। शब्दों के बिना हम अपनी बात दूसरों तक नहीं पहुँचा सकते।।
शब्द-भण्डार–किसी भाषा में प्रयुक्त हो रहे या हो सकने वाले सभी शब्दों के समूह को उस भाषा का ‘शब्द-भण्डार’ कहते हैं। किसी भाषा के सभी शब्दों की गिनती करना सम्भव नहीं है। कारण यह है कि समय के साथ-साथ कुछ शब्दों का प्रयोग समाप्त होता रहता है तथा कुछ नये शब्द बढ़ते रहते हैं। उदाहरणार्थ-रत्ती, तोला, छटाँक, सेर आदि शब्द आजकल बाह्य (आउट ऑफ डेट) हो गये हैं। इसलिए इनका महत्त्व समाप्त होता जा रहा है। दूसरी ओर, नयी सभ्यता के साथ-साथ टी०वी०, दूरदर्शन, वीडियो, पॉलीथिन, ऑडियो आदि शब्दों का प्रचलन बढ़ रहा है।