नए स्थान पर जाने से बैलो पर क्या बीती?
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जानवरों में गधा सबसे ज्यादा बुद्धिमान समझा जाता है. हम जब किसी आदमी को पहले दर्जे का बेवकूफ कहना चाहते हैं, तो उसे गधा कहते हैं. गधा सचमुच बेवकूफ है या उसके सीधेपन, उसकी निरापद सहिष्णुता ने उसे यह पदवी दे दी है, इसका निश्चय नहीं किया जा सकता. गायें सींग मारती हैं, ब्याही हुई गाय तो अनायास ही सिंहनी का रूप धारण कर लेती है. कुत्ता भी बहुत गरीब जानवर है, लेकिन कभी-कभी उसे भी क्रोध आ ही जाता है, किन्तु गधे को कभी क्रोध करते नहीं सुना, न देखा. जितना चाहो गरीब को मारो, चाहे जैसी खराब, सड़ी हुई घास सामने डाल दो, उसके चेहरे पर कभी असंतोष की छाया भी नहीं दिखाई देगी. वैशाख में चाहे एकाध बार कुलेल कर लेता है, पर हमने तो उसे कभी खुश होते नहीं देखा. उसके चेहरे पर स्थाई विषाद स्थायी रूप से छाया रहता है. सुख-दुःख, हानि-लाभ किसी भी दशा में उसे बदलते नहीं देखा. ऋषियों-मुनियों के जितने गुण हैं, वे सभी उसमें पराकाष्ठा को पहुँच गए हैं, पर आदमी उसे बेवकूफ कहता है. सद्गुणों का इतना अनादर!
क्या खाएं ? आशा-भरी आंखों से द्वार की ओर ताकने लगे. झूरी ने मजूर से कहा-'थोड़ी-सी खली क्यों नहीं डाल देता बे ?'
'मालकिन मुझे मार ही डालेंगी.'
'चुराकर डाल आ.'
'ना दादा, पीछे से तुम भी उन्हीं की-सी कहोगे.'
दूसरे दिन झूरी का साला फिर आया और बैलों को ले चला. अबकी उसने दोनों को गाड़ी में जोता.
दो-चार बार मोती ने गाड़ी को खाई में गिराना चाहा, पर हीरा ने संभाल लिया. वह ज्यादा सहनशील था.
संध्या-समय घर पहुंचकर उसने दोनों को मोटी रस्सियों से बांधा और कल की शरारत का मजा चखाया फिर वही सूखा भूसा डाल दिया. अपने दोनों बालों को खली चूनी सब कुछ दी.
दोनों बैलों का ऐसा अपमान कभी न हुआ था. झूरी ने इन्हें फूल की छड़ी से भी छूता था. उसकी टिटकार पर दोनों उड़ने लगते थे. यहां मार पड़ी. आहत सम्मान की व्यथा तो थी ही, उस पर मिला सूखा भूसा !
नांद की तरफ आंखें तक न उठाईं.
दूसरे दिन गया ने बैलों को हल में जोता, पर इन दोनों ने जैसे पांव न उठाने की कसम खा ली थी. वह मारते-मारते थक गया, पर दोनों ने पांव न उठाया. एक बार जब उस निर्दयी ने हीरा की नाक पर खूब डंडे जमाये तो मोती को गुस्सा काबू से बाहर हो गया. हल लेकर भागा. हल, रस्सी, जुआ, जोत, सब टूट-टाटकर बराबर हो गया. गले में बड़ी-बड़ी रस्सियाँ न होतीं तो दोनों पकड़ाई में न आते.
हीरा ने मूक-भाषा में कहा-भागना व्यर्थ है.'
मोती ने उत्तर दिया-'तुम्हारी तो इसने जान ही ले ली थी.'
'अबकी बड़ी मार पड़ेगी.'
'पड़ने दो, बैल का जन्म लिया है तो मार से कहां तक बचेंगे ?'
'गया दो आदमियों के साथ दौड़ा आ रहा है, दोनों के हाथों में लाठियां हैं.'
मोती बोला-'कहो तो दिखा दूं मजा मैं भी, लाठी लेकर आ रहा है.'