Hindi, asked by rishabhpael338, 6 days ago

फ़णदर कणदमल बुल्केएक संन्यणसी थे, परन्तुपणरंपररक अथामेंहम उन्हेंसंन्यणसी क्यों िहीं कह सकते?​

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Answered by Anonymous
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फ़ादर बुल्के अपनी वेशभूषा और संकल्प से संन्यासी थे परंतु वे मन से संन्यासी नहीं थे। ... फ़ादर बुल्के को भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग इसलिए कहा गया है क्योंकि वे बेल्जियम के रेश्व चैपल से भारत आकर यहाँ की संस्कृति में पूरी तरह रच-बस गए थे। उन्होंने संन्यासी बन कर भारत में रहने का फैसला किया।

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