नफरत करना नहीं किसी से, प्यार सभी से करना जी,
तूफाँ तो आते रहते हैं, इनसे भी क्या डरना जी ।
हिम्मत करनेवालों को, मिलती मदद सब लोगों की,
सत्कर्मों की तूलिका से, जीवन में रंग भरना जी । हार-जीत का खेल है जीवन, खेल समझकर खेलो,
जो भी मिलता, हाथ बढ़ाकर, खुशी-खुशी तुम ले लो ।
जब तक जियो, हँसकर जियो इक दिन सबको जाना जी,
तूफाँ तो आते रहते हैं, इनसे भी क्या डरना जी । धूप-छाँव जीवन का हिस्सा, कभी उजाला, कभी अँधेरा,
रात हो चाहे जितनी लंबी, उसका भी है अंत सवेरा ।
समय एक-सा कभी न रहता, थोड़ा धीरज धरना जी,
तूफाँ तो आते रहते हैं, इनसे भी क्या डरना जी ।
देह-अभिमान के कारण, देखो कितनी महामारी है,
सबको सच्ची राह दिखाना, अपनी जिम्मेदारी है ।
आत्मज्ञान के दीप जलाकर, दूर अँधेरा करना जी,
तूफाँ तो आते रहते हैं, इनसे भी क्या डरना जी । समाज सेवी महिला की जीवनी पढ़कर प्रेरणादायी अंश चुनाे और बताओ ।
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हमें अपने सत्कर्मों की तूलिका से रंग भरना है ।
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दिया गया पद्यांश " तूफानों से क्या डरना " कविता से लिया गया है।
समाज सेवी महिला की जीवनी पढ़कर प्रेरणादायी अंश निम्न प्रकार से लिखे गए है।
मदर टेरेसा एक समाज सेवी महिला थी।
- मदर टेरेसा बहुत दयालु प्रवृत्ति की महिला थी, वे कभी किसी निर्धन को खाली हाथ नहीं भेजती थी।
- उन्हें अपने जीवन में जितने भी पुरस्कार मिले वे उन्होंने गरीबों कर नाम स्वीकार किए।
- सबसे पहले उन्होंने 8 अगस्त 1948 के दिन तीन सड़ियों और पांच रुपए के नोट से समाज सेवा प्रारंभ की।
- वे कभी किसी के दिल को ठेस नहीं पहुंचाती थी।
- उन्होंने टीटागढ़ के कुष्ठ रोगियों की सेवा निस्वार्थ भाव से की।
- वे गरीबों व दिन दुखियो की सेवा तन में व धन से करती थी। वे उनकी सेवा में अपना ध्यान रखना भी भूल जाती थी।
- उनका कहना था " मै तो प्रभु के हाथ की पेंसिल मात्र हूं, सारा कार्य उन्हीं का किया जूझ है "
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