नफरत ठंडी आग है इस समय जलना छोड़ टूटे दिल को प्यार से जोड़ सके तो जोड़। इस पद का भावार्थ
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नफरत ठंडी आग है इस समय जलना छोड़,
टूटे दिल को प्यार से जोड़ सके तो जोड़।
भावार्थ ➲ इस पद में कवि कहता है कि नफरत एक ठंडी आप के समान है। जिस तरह ठंडी आग धीरे-धीरे सुलगती रहती है और उसका पता ही नही चलता, वो धीरे-धीरे अंदर ही अंदर जलाती रहती है। उसी तरह नफरत भी एक ठंडी आग के समान है, जो धीरे-धीरे हमें जलाती रहती है और हमें पता ही नहीं चलता। इसलिए नफरत नफरत रूपी आग से जितना संभव हो, उतना दूर रह जाए, वो ही अच्छा है। प्यार एक ऐसी भावना है जो सभी दिलों को जोड़ता है, लोगों में भाईचारा पैदा करता है। इसलिए अधिक से अधिक प्रेम व स्नेह बाटें। टूटे हुए दिलों को प्रेम से जोड़ें, जिससे लोगों के बीच द्वेष और वैमनस्य कम हो। जहाँ नफरत लोगों को तोड़ती है, वही प्यार लोगों को जोड़ता है।
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