Nagaland
ke prakritik saundarya pe kavita 10 line
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ये बादल इस तरह उडते हैं जैसे
कोई आवारा पंछी उड़ राहा हो ।
पहाड़ो की ढलानों से सटे से
हरे पेड़ो की डालों से निकल के
उन ऊँची चोटियों पर बैठते हैं ।
और उसके बाद गोताखोर जैसे
उतर जाते हें इन गटरायोमे
पहुँच जाते हैं गहरी खाइयों में ।
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