Hindi, asked by kaustubhkesarwani06, 1 month ago

नगरे गत्वा श्यामः एकस्य श्रेष्ठीनः गृहे कार्यं कर्तुम्
आरभत्। सः श्रेष्ठीम् स्व सिद्धान्त-विषये अपि अवदत् । श्रेष्ठी
हसन् अवदत्-"असत्यं कः न वदति? षण्मासपश्चाद्
द्रक्ष्यामः । त्वम् कार्यं कुरु।"
श्यामः परिश्रमी, आज्ञापालकः च सेवकः आसीत्। तेन
परिश्रमेण श्रेष्ठीम् प्रसन्नः कृतः। परन्तु श्रेष्ठी श्यामेन सह
दासवत् व्यवहारं करोति स्म। सः तम् अवकाशे अपि गृह-
गन्तुम् आज्ञां न यच्छति स्म। श्यामः परवशं आसीत्, किञ्चन्
अपि न वदन् स्वकार्ये संलग्नः आसीत्। हिन्दी में अनुवाद् ​

Answers

Answered by ash8712
2

what language is this dont understand it

Answered by theananyasingh04
2

Answer:

नगर जा कर श्याम एक बड़े सेठ के घर काम करना प्रारम्भ कर देता है। वह सेठ को अपने सिद्धान्त-के विषय मे भी बोलता है। सेठ हँस कर बोले- असत्य/झूठ कौन नही बोलता?______तुम काम करो।

श्याम परिश्रमी, आज्ञा मानने वाला और सेवक था। उसके परिश्रम से सेठ खुश हो गया। परन्तु सेठ श्याम के साथ दास की तरह बर्ताव करता था। वह उसको अवकास में भी घर जाने की आज्ञा नही देता था। श्याम ____ था। कभी भी कुछ नही नही बोलता और अपने कार्य को लग्न के साथ करता था


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