नगरिया समाज में आवास के लाभ एवम दुष्परिणाम बताआइए
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मानव जीवन की तीन मूलभूत आवश्यकताएं हैं – भोजन, वस्त्र और आवास ।पौष्टिक भोजन, स्वच्छ वस्त्र तथा साफ-सुथरा आवास मानव की कार्यक्षमता एवं जीवन को सुचारू रूप से सक्रिय रखने के लिए न्यूनतम एवं वांछनीय आवश्यकताएं हैं ।वर्त्तमान युग में मशीनीकरण का युग है ।औधोगिकीकरण के जिनते भी आयाम है, सब मशीन पर निर्भर हैं, लेकिन इन मशीनों की कार्यक्षमता को बनाये रखने अथवा अनुकूल दशाओं के विकास के लिए श्रमिकों का संतुलित एवं पौष्टिक आहार शरीर ढूंढनें को पर्याप्त मात्रा वस्त्र और प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षित रखने के लिए स्वास्थ्यकर आवास की उपलब्धि नितान्त आवशयक है ।लेकिन औद्योगिकप्रगति के बाद आज श्रमिकों के आवास की व्यवस्था अच्छी नहीं है ।उन्हें गंदी बस्तियों में ही रहना पडत है ।अत: वर्त्तमान युग में गंदी बस्तियों की समस्या बनती जा रही है ।इसी कारण हाउस ने नगर को “जीवन और समस्याओं का विशिष्ट केंद्र” माना है ।
मानव जीवन की तीन मूलभूत आवश्यकताएं हैं – भोजन, वस्त्र और आवास ।पौष्टिक भोजन, स्वच्छ वस्त्र तथा साफ-सुथरा आवास मानव की कार्यक्षमता एवं जीवन को सुचारू रूप से सक्रिय रखने के लिए न्यूनतम एवं वांछनीय आवश्यकताएं हैं ।वर्त्तमान युग में मशीनीकरण का युग है ।औधोगिकीकरण के जिनते भी आयाम है, सब मशीन पर निर्भर हैं, लेकिन इन मशीनों की कार्यक्षमता को बनाये रखने अथवा अनुकूल दशाओं के विकास के लिए श्रमिकों का संतुलित एवं पौष्टिक आहार शरीर ढूंढनें को पर्याप्त मात्रा वस्त्र और प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षित रखने के लिए स्वास्थ्यकर आवास की उपलब्धि नितान्त आवशयक है ।लेकिन औद्योगिकप्रगति के बाद आज श्रमिकों के आवास की व्यवस्था अच्छी नहीं है ।उन्हें गंदी बस्तियों में ही रहना पडत है ।अत: वर्त्तमान युग में गंदी बस्तियों की समस्या बनती जा रही है ।इसी कारण हाउस ने नगर को “जीवन और समस्याओं का विशिष्ट केंद्र” माना है ।जहाँ तक भारत जैसे विकासशील देश का प्रश्न है, गंदी बस्ती की समस्या यहां अत्यधिक गंभीर है ।लोगों को बुरी आर्थिक दशा के कारण यह बढ़ती हुई जनसंख्या, उन्नत तकनीकी और धीमी प्रगति से होने वाले औधोगिकीकरण का ही परिणाम है ।भारत में गंदी बस्ती का उदय कब हुआ, इसका निश्चित समय नहीं बतलाया जा सकता है ।लेकिन जैसे-जैसे समय बिताता जा रहा है नई-नई गंदी बस्तीयों का विस्तार हो रहा है ।इस प्रकार गन्दी बस्तियाँ प्राय: सभी बड़े नगरों में विकसित हुई है ।
Given: नगरिया समाज में आवास के लाभ एवम दुष्परिणाम
Answer:
सार्वभौमिक नगरिया समाज में आवास के लाभ यह है कि नगरीय समाजशास्त्र में सार्व भौमिकता के गुण पाये जाते है, क्योंकि इसके नियम सभी जगह पर व्याप्त है और सभी स्थानों में समान रूप से लागू भी किये जाते ।
जैसे कि औद्योगीकरण तथा नगरीकरण से नगरों का विकास व विस्तार होता है तथा इससे आवास की समस्या और मलिन बस्तियों का निर्माण भी होता है ।
तथा दुष्परिणाम देखा जाए तो लाखों श्रमिकों जिसके साधन और आय सीमित हैं ।और उसे वही विवश होकर गंदी बस्तियों में रहना ही पड़ता है । मकान कम है और रहने वाले लोगों का तादार अधिक हैं ।वह परिणाम की बात की जाए तो गंदी बस्तियों में दिन पर दिन वृधि होती जा रही है । एक जगह के चलते संक्रमण तथा रोग निरंतर उत्पन्न होती ही हैं वही छोटे छोटे बच्चे अपने परिवार के साथ उसी जगह में रहते भि हैं ।
Explanation:
जिस प्रकार नगरीय केन्द्रों में जनसंख्या के प्रतिदिन बढ़ते रहने एवं औद्योगीकरण के पश्चात फलस्वरूप पर्यावरण प्रदूषण तथा अवनयन की कई समस्याएँ उत्पन्न हो रही है। वही सबसे ज्यादा प्रदूषण वायु तथा जल में देखने को मिलता है। महानगरों में जिस प्रकार बढ़ता प्रदूषण का मुख्य कारण वाहनों एवं औद्योगिक संस्थानों द्वारा निस्सृत विषैले रसायन से है ।
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