नगरीय समस्याओं पर टिप्पणी बताइए
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1. आवास की समस्या- नगरों में जिस घनत्व के आधार पर विभिन्न सुविधाओं की व्यवस्था की जाती है उसकी तुलना में नगरों की आबादी बहुत अधिक है। फलस्वरूप बड़ी संख्या में लोगों के पास अपने मकान नहीं होते। मुम्बई, दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई, हैदराबाद, अहमदाबाद, कानपुर और अनेक ऐसे नगर हैं, जिनमें लाखों लोग रात में फुटपाथ पर सोने के लिए विवश हैं।
2. मलिन बस्तियाँ- मलिन बस्तियाँ हम ऐसे इलाकों को कहते हैं जिनमें टूटे-फूटे मकानों के अलावा टीन के टुकड़ों, पॉलीथिन और कच्ची दीवारों की सहायता से झुग्गी-झोपड़ियाँ बना ली जाती हैं। ऐसे क्षेत्रों में शौचालय, पानी या बिजली की कोई सुविधाएँ नहीं होती। जो नगर जितना बड़ा है उसमें रेल लाइनों के दोनों ओर तथा खाली पड़ी हुई जमीनों पर इस तरह की बस्तियों की संख्या उतनी ही अधिक है ।
3. प्रदूषण की समस्या- नगरीकरण में वृद्धि होने के साथ प्रदूषण की समस्या जनसाधारण के स्वास्थ्य के लिए एक गम्भीर खतरा बन गई है। नगरों में कूड़े-कचरे और गन्दगी के ढेर हर जगह देखने को मिल सकते हैं। सीवर लाइनों की सही व्यवस्था न होने के कारण बहुत दूषित और विषाक्त पानी सड़कों पर फैलता रहता है। उद्योगों की चिमनियों और मोटर वाहनों से निकलने वाला धुआँ वातावरण को अधिक प्रदूषित कर रहा है ।
4. बुनियादी सुविधाओं की कमी- अधिकांश राज्यों के नगरों में लोगों को कुछ घण्टे ही पानी और बिजली की सुविधा मिल पाती है। नगरों में टूटी हुई सड़कों के कारण चलना भी कठिन है। स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी स्वच्छता के प्रति पूरी तरह उदासीन हैं।
5. अपराधों में वृद्धि- नगरों में बढ़ते हुए संगठित अपराधों के कारण सामान्य लोग अपने जीवन को बहुत असुरक्षित मानने लगे हैं। अपहरण, चोरियाँ, बलात्कार और लूटमार जैसी घटनाएँ बढ़ती जा रही हैं। बड़े-बड़े भू-माफिया जबरदस्ती लोगों की सम्पत्ति को हड़प रहे हैं। जालसाजी, शराबखोरी और मादक पदार्थों का सेवन नगरीकरण के घातक परिणाम हैं।