नहीं रुकती है नदी
(हीरालाल बाछोतिया)
Answers
Answer:
Nadi ko Kabhi roka nhi Ka skta
नदी रूकती नहीं ......
Explanation:
जब भी ज़िन्दगी की बल खाती राह के बारे में सोचा , हर बार एक नदी का ख्याल आया !
कई बार लगा कि हर मोड़ पे मंज़र बदल जाना , नए नए मोड़ आना , रुक जाना फिर चल पड़ना ,
बिलकुल एक नदी की तरह !
कभी तेज़ बहाव , कभी ठहराव ,
कभी पत्थरों के बीच से राह बनाना , और कभी गहरी खायी में गुम हो जाना ,
फिर से निकल आना एक नए रास्ते की ओर , फिर चल पड़ना !!
रुकने की कोई राह ही नहीं , जहाँ रुकी वहीँ पानी गन्दला जाना ,
जैसे दिल्ली की जमुना , जिसका कोई पता नहीं किधर से आना है किधर को जाना !!
बस यहीं पहुँच कर लगा कि रुकना नहीं है ,
पत्थरों के बीच रास्ता होगा तो सही ,
पत्थर कब रोक पाए हैं नदी का बहाव , दिशा तो बदल सकते हैं ये ,
बहाव रोक देने की ताकत उनमे है ही नहीं !!
नदी रुकती नहीं ,पहाड़ से गिरकर भी
घुटने नहीं टेकती
,उछलती,उफनती हुई
आगे बढ़ती है
,शिलाखण्डों को दोनों हाथों से
ढकेलती है
,यह नदी है
नदी रुकती नहीं
,कहीं ठहरकर
उसे झील नहीं बनना है
,कोई पोखर नहीं होना है
काई-कुंभी नहीं ढोना है
,उसे बस बहना है
बहना ही है
,नदी की असली पहचान
अपनी पहचान उसे नहीं खोना है,यही तो नदी का नदी होना है.
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