नहि सत्यात् पर: धर्मः त्रिषु लोकेषु विद्यते।
पापम् मिथ्यासमम् नास्ति तस्मात् सत्यं वद॥
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इस संस्कृत वाक्यांश का अनुवाद है: -
सत्य से परे तीनों लोकों में कोई धार्मिकता नहीं है असत्य के समान कोई पाप नहीं है, इसलिए सत्य बोलो।
- यह संस्कृत वाक्यांश तीनों लोकों में सत्य के महत्व और अन्य सभी सद्गुणों पर इसकी श्रेष्ठता पर जोर देता है। इसमें कहा गया है कि सत्य परम धर्म या कर्तव्य है जिसे एक धार्मिक जीवन जीने के लिए देखा जाना चाहिए। यह वाक्यांश इस बात पर भी जोर देता है कि झूठ या बेईमानी से बड़ा कोई पाप नहीं है और यह कि सच हमेशा कहा जाना चाहिए।
- इस संस्कृत वाक्यांश का अनुवाद है: -
- सत्य से परे तीनों लोकों में कोई धार्मिकता नहीं है असत्य के समान कोई पाप नहीं है, इसलिए सत्य बोलो।
- यह वाक्यांश एक महत्वपूर्ण संदेश देता है कि ईमानदारी सभी गुणों की नींव है और इसे जीवन के सभी पहलुओं में बरकरार रखा जाना चाहिए। यह भी याद दिलाता है कि बेईमानी और धोखे से नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं, और यह कि ईमानदार होना न केवल एक नैतिक दायित्व है, बल्कि एक बुद्धिमान विकल्प है। इसलिए व्यक्ति को हमेशा सच बोलना चाहिए और अपने विचारों, शब्दों और कर्मों में ईमानदार रहने का प्रयास करना चाहिए।
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"नहि सत्यात् पर: धर्मः त्रिषु लोकेषु विद्यते।
पापम् मिथ्यासमम् नास्ति तस्मात् सत्यं वद॥"
इस श्लोक का हिंदी में अनुवाद निम्नलिखित है:
"सत्य से बढ़कर कुछ नहीं है, सत्य ही तीनों लोकों में धर्म है।
इसलिए पाप में झूठा कुछ भी नहीं होता है, इसलिए सत्य बोलो॥"
यह श्लोक वेदों के एक अंश से लिया गया है और इसका अर्थ है कि सत्य धर्म के सबसे महत्वपूर्ण आधार होता है और झूठे बोल या पाप नहीं करना चाहिए। यह हमें यह बताता है कि सत्य बोलना हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी होती है और हमें उसे हमेशा बोलना चाहिए।
श्लोक एक पद्य विधा है जो हिंदी में छंदों में लिखा जाता है। श्लोक का उद्देश्य संस्कृत भाषा में समझाना है और उसे भाषा का एक महत्वपूर्ण भाग माना जाता है। इसके अलावा, श्लोक एक संगठित और प्रभावी ढंग से व्यक्ति के विचारों और दृष्टिकोण को संक्षेप में प्रकट करने का एक माध्यम होता है।
श्लोकों का उपयोग हिंदू धर्म में पूजा-पाठ, ज्ञान-विस्तार और धार्मिक शिक्षण के लिए किया जाता है। ये वाक्य विशेष रूप से महाभारत, रामायण और वेदों में उपलब्ध होते हैं। श्लोकों के साथ संबंधित एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू यह है कि ये एक ऐसी शैली में लिखे जाते हैं जो सुगम गुणवत्ता, चयनित शब्दों और संरचना के साथ संगठित होती है।
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