नहदयों से ोने िािे िाभों और उनके सिंरक्षण के उपाय |
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सद्गुरु बता रहे हैं कि भारत में नदियों को भौगोलिक अस्तित्व की तरह देखने के बजाए जीवन देने वाले देवी-देताओं की तरह क्यों देखा जाता था, और ये नजरिया कैसे हमारी खुशहाली के लिए महत्वपूर्ण है।
अगर आप इस संस्कृति में पूजे जाने वाले लोगों को देखें – चाहे वे शिव हों, राम हों या कृष्ण हों – ये वे लोग थे जिनके कदम कभी इस धरती पर पड़े थे। वे समान्य लोगों से कहीं ज्यादा मुश्किलों और चुनौतियों से गुज़रे। हम उनकी पूजा इसलिए करते हैं, क्योंकि उनके सामने जिस भी तरह की परिस्थितियाँ आईं, और जीवन ने उनके आगे जिस भी तरह की चुनौतियां पेश कीं, उनका भीतरी स्वभाव कभी नहीं बदला। हम उनकी पूजा करते हैं क्योंकि वे इन सभी चीज़ों से अछूते रहे। कई मायनों में एक नदी इसी को दर्शाती है – इससे फर्क नहीं पड़ता कि नदी को किस तरह के लोग छूते हैं, वो हमेशा पवित्र रहती है, क्योंकि प्रवाह ही उसकी प्रकृति है।
“इस संस्कृति में, हम नदियों को सिर्फ जल के स्रोतों के रूप में नहीं देखते। हम उन्हें जीवन देने वाले देवी देवताओं के रूप में देखते हैं। “
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I can't understand ..