Hindi, asked by Parjinderkumar, 1 month ago

नई कक्षा के बारे में दादा और पोते के बीच संवाद लेखन​

Answers

Answered by deveshkumar9563
0

Explanation:

दादी और प्रगतिशील विचारों वाली पोती नेहा के बीच संवाद

दादी- अरी नेहा, सुबह-सुबह कहाँ जा रही है ?

नेहा- आपको बताया तो था, आज स्कूल से हमें ‘हरिजन बस्ती’ ले जा रहे हैं। वहाँ हम औरतों को घर-बाहर

और स्वयं की साफ़-सफ़ाई की बातें बताएँगे। कंम्प्यूटर द्वारा वहाँ के स्कूली बच्चों का अपने बच्चों से संपर्क करवाएँगे।

दादी – ऐं! तुम क्यों जाओगी इतनी गर्मी में। धूल-धक्कड़ भरी बस्ती में जाकर उन जाहिल औरतों से माथा पच्ची करने के लिए ही क्या इतनी फ़ीस भरते हैं हम? हम ऊँची जाति के ब्राह्मण हैं- वहाँ उनको छूकर अपना धर्म भ्रष्ट करोगी?

नेहा- दादी माँ! ये कैसी बातें कर रही हैं आप? हम सब क्या उस एक खुदा के बंदे नहीं है? ऊँच-नीच और छुआ-छुत की दीवारें खड़ी करना क्या खुदा का अपमान करना नहीं है। पूजा-पाठ करने से कहीं ज्यादा जरूरी है, जरूरतमंदों के काम आना। जो उपेक्षित हैं, उन्हें सम्मानपूर्वक जीना सिखाना।

दादी – बस-बस। मैं तेरी दादी हूँ या तू मेरी ? अपनी सीख अपने पास रख। बस मैंने कह दिया तू वहाँ नहीं जाएगी।

नेहा- दादी माँ! ये कैसी बातें कर रही हैं आप? हम सब क्या उस एक खुदा के बंदे नहीं है? ऊँच-नीच और छुआ-छुत की दीवारें खड़ी करना क्या खुदा का अपमान करना नहीं है। पूजा-पाठ करने से कहीं ज्यादा जरूरी है, जरूरतमंदों के काम आना। जो उपेक्षित हैं, उन्हें सम्मानपूर्वक जीना सिखाना।

दादी – बस-बस। मैं तेरी दादी हूँ या तू मेरी ? अपनी सीख अपने पास रख। बस मैंने कह दिया तू वहाँ नहीं जाएगी।

नेहा- दादी माँ! आप जानती हैं, मैं आपको कितना प्यार करती हूँ कितना आदर देती हूँ। पर आपकी ग़लत बात नहीं मान सकती। अनुचित करना और अनुचित का साथ देना दोनों गलत है। एक बार मैं आपको भी साथ ले चलूँगी। आप उन भोली-भाली अनपढ़ औरतों से जब मिलेंगी तब जान पाएँगी कि इस एक वर्ष में ही हमारी थोड़ी-सी सहायता से उनके जीवन में कितना बदलाव आ गया है। उनके बच्चे भी अब कम बीमार पड़ते हैं। अगले वर्ष तक वे अच्छी तरह लिखना-पढ़ना भी सीख लेंगी। मैं तो इसी को पूजा समझती हूँ।

दादी – चल ठीक है तू अपनी पूजा करने जा, मैं अपनी पूजा के लिए मंदिर जाती हूँ।

Similar questions