िनÌनिलिखत पåर¸छेद का मातृभाषा म¤अनुवाद कìिजए । (05)
अमåरका म¤Öवामीजी के भĉŌ कì स´ं या िदनŌ-िदन बढ़ने लगी | चारŌ ओर िज²ासुउनके
पास पहचòँ तेऔर अपने-अपनेनगर म¤पधारनेका अनरुोध करते| Öवामीजी को अ³सर िदनभर
ÓयÖत रहना पडता । बडे-बडे ÿोफे सरŌ और िवĬानŌ नेआकर उनके उपदेशŌ को अपने Ńदय म¤
Öथान िदया और उनका िशÕयßव úहण िकया |
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dear your questions is not clear...
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