Naitik Shiksha ke mahatva Kosam chote chote bhai ko Patra likhiye
Answers
परीक्षा भवन
(शहर का नाम)
दिनांक :
प्रिय अनुज
चिरंजीव रहो!
कल ही पिताजी का पत्र मिला और उन्होंने तुम्हारी शिकायत करते हुए कहा है की तुम बिल्कुल ही लापरवाह होते जा रहे हो और तुम्हारा आचरण भी कुछ सही नहीं है। तुम्हारे लिए यह उचित नहीं है।
मैं तुम्हें समझाना चाहता हूँ कि नैतिक शिक्षा ही एक ऐसी सम्पत्ति होती है जो की मनुष्य के लिए अमूल्य होती है। यह सम्पत्ति जिस किसी के भी पास हो वह दुनिया में किसी भी चीज़ को पा सकता है। और सबसे अहम बात की तुम्हें यह शिक्षा तुम्हारे विद्यालय में नहीं सिखाई जायेगी बल्कि यह वह शिक्षा है जो माता-पिता तुम्हें बचपन से दे रहें हैं और अब दोस्तों की कुसंगती में रह कर तुम इसे गवा रहे हो।
मैं तुम्हें यह पत्र एक दोस्त की तरह लिख रहा हूँ और आशा करता हूँ कि मेरे द्वारा समझाई गई बातों पर ध्यान दोगे।
तुम्हारा अग्रज
(पत्र भेजने वाले का नाम)
Answer:
नैतिक शिक्षा का रूप
नैतिक शिक्षा आमतौर पर सिद्धांतों या नैतिकता पर आधारित होती है. यह नैतिक रूप से अनुमेय है. अगर सही और गलत के बीच संघर्ष होता है, तो सही का जीत सुनिश्चित है. जो सही है वह नैतिक शिक्षा शामिल है. यह शिक्षण सत्यम, शिवम और सुंदरम का उपासक बनने की प्रेरणा देता है. यह अन्याय और भ्रष्टाचार से दूर रहने की चेतावनी देती है. यह हमेशा सद्भावना अर्जित करने और सही रास्ते पर आगे बढ़ने के लिए अच्छी सलाह देता है. शारीरिक विकास, साथ ही मानसिक और आध्यात्मिक विकास, शिक्षा के मुख्य लक्ष्य होने चाहिए.
साधारण शिक्षा और नैतिक शिक्षा
मानव शिशु परिवार से शुरू करके स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय विभिन्न स्तरों पर साधारण शिक्षा लाभ करने का अवसर पाता है. यह शिक्षा के दौरान वे विभिन्न विषयों में ज्ञान प्राप्त करने के साथ किसी भी पेशे को आगे बढ़ाने के लिए शिक्षा या प्रशिक्षण प्राप्त करता है. यह उसका आर्थिक स्थिति में सुधार करता है. यह आमतौर पर आध्यात्मिक विकास में विशेष रूप से मदद नहीं करता है. इसलिए नैतिक शिक्षा की आवश्यकता होती है. नैतिक शिक्षा चरित्र सुधार में मदद करती है. चरित्रहीन लोगों को हमेशा अपमानित किया जाता है. नैतिक शिक्षा चरित्र निर्माण के साथ-साथ आदर्श मानव बनाने में मदद करती है.