ନିମ୍ନଲିଖତ ସମସ୍ତପଦଗୁଡ଼ିକର ବ୍ୟାସବାକ୍ୟ ସହ ସମାସର nama lekha
ଘରମୁହାଁ, ତନ୍ତବୁଣା, ମନରୁଚା, ଜନ୍ମାନ୍ଧ, ପ୍ରଜାତନ୍ତ୍ର
ହଂସଡିମ୍ବ, ଅନାବିଳ, ଅନ୍ତେବାସୀ, ପାଦପଦ୍ମ, ରେଳଗାଡ଼ି
ଦେଶାନ୍ତର, ଦମ୍ପତି, ଦଶାନନ, ଆଜୀବନ ।
THIS IS ODIA CLASS 9 BYAKARANA SAMASA
DONT SPAMS
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सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' हिन्दी कविता के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक माने जाते हैं। वे जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत और महादेवी वर्मा के साथ हिन्दी साहित्य में छायावाद के प्रमुख स्तंभ माने जाते हैं। उन्होंने कहानियाँ, उपन्यास और निबंध भी लिखे हैं किन्तु उनकी ख्याति विशेषरुप से कविता के कारण ही है।
जीवन परिचय
सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' का जन्म बंगाल की महिषादल रियासत (जिला मेदिनीपुर) में माघ शुक्ल ११, संवत् १९५५, तदनुसार २१ फ़रवरी, सन् १८९९ में हुआ था। वसंत पंचमी पर उनका जन्मदिन मनाने की परंपरा १९३० में प्रारंभ हुई। उनका जन्म मंगलवार को हुआ था। जन्म-कुण्डली बनाने वाले पंडित के कहने से उनका नाम सुर्जकुमार रखा गया। उनके पिता पंडित रामसहाय तिवारी उन्नाव (बैसवाड़ा) के रहने वाले थे और महिषादल में सिपाही की नौकरी करते थे। वे मूल रूप से उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के गढ़ाकोला नामक गाँव के निवासी थे
Explanation:
menu odia ne ati punjabi puchna h toh puch sakte ho
Despite imagination being burnt and being blind Despite your price for mercy, well I smile and feel refined Despite your allegories for love and hate and war I will love you for reasons insecure And despite your wish is contrary my motives are impure My rushing to another banner to find a cure And despite the alienation my morality's obscure I will love you for reasons insecure And despite the animosity, the hatred and the fear The sacrosanct pomposity which gives me so much cheer And despite the words of hell, that I whisper behind doors I will love you for reasons insecure Yes, I will love you for reasons insecure, insecure