नम्नलिखित गदयाशं को ध्यानपूर्वक पढ़कर इसके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
के
साधु संगत पढ़ रही थी, और पाकिस्तान स्पेशल यात्रियों के इस जत्थे को लिए हुए छकाछक उड़ी जा रही
था। बाहर दूर तक रेगिमान फैला हुआ था। कभी कभी बाजो के खेत दिखाई दे जाते या फिर कहीं-कहीं
पीले फूलों से लदे हुए बल के कटिदार पेड़ दीख पड़ते। इनसे हटकर सारा दृश्य हरियाली से शून्य, वीरान
और सुनसान था। पालसिंह खिड़की के बाहर देख रहा था। उसकी खुली हुई दाढ़ी थूल से अटी हुई थी।
रेतीले औदान से एक बगला उड़ा और हवा के कंधों पर सवार गाड़ी के अंदर आ गया।
"खिकी बंद कर दो", जत्थेदार जी बोले।
पानीसिंह मुरकरा दिया "यही तो हमारे देश का मेवा है, बादशाहो, तुम इसे रेत कहते हो, इस रेत के लिए
तो मेरी आँख तरस गई।"
आज चौदह साल के लंबे अरसे के बाद पालासिंह देश जा रहा था। आज से चौदह साल पहले यह उसका
अपना देश था। यह रेगिस्तानी देश। रावलपिंडी के पश्चिमी रतीले इलाके में उसका गाँव था, घर-घाट था,
जमीन थी, एक दुनिया थी। फिर न जाने क्यों लोगों के सिर पर पागलपन का भूत सवार हुआ और बैठे बिठाए
अपने पराए हो गए। पालासिंह अपना सब कुछ पीछे छोड़कर सरहद के इस पार चला आया। अब यूँ तो
उसके पास सब कुछ था, घर-घाट था, माल असबाब था, लेकिन वह दुनिया न थी। अपने दालान का कुंआ
उसे कभी न भूला। वैसे तो उसे अपने देश की हर चीज प्यारी थी, लेकिन कुएँ से उसे विशेष स्नेह था।
प्रश्न
(क) पाकिस्तान स्पेशल ट्रेन के बाहर का दृश्य कैसा था?
(ख) जत्थेदार जी ने खिड़की बंद करने के लिए क्यों कहा?
(ग) पालासिंह ने किसे ' अपने देश का मेवा' कहा तथा उसकी आँखें किस चीज़ के लिए तरस गई थी?
(घ) पालासिंह का गाँव कहाँ पर था तथा उसे अपना देश क्यों छोड़ना पड़ा?
(ङ) पालसिंह किस चीज को कभी नहीं भूल पाया?
(च) गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
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