नमंती का मूल धातु क्या है
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namant
Explaination
संस्कृत व्याकरण में क्रियाओं (verbs) के मूल रूप को धातु कहते हैं। धातु ही संस्कृत शब्दों के निर्माण के लिए मूल तत्त्व (कच्चा माल) है। इनकी संख्या लगभग 2012 है। धातुओं के साथ उपसर्ग, प्रत्यय मिलकर तथा सामासिक क्रियाओं के द्वारा सभी शब्द (संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया आदि) बनते हैं। दूसरे शब्द में कहें तो संस्कृत का लगभग हर शब्द अन्ततः धातुओं के रूप में तोड़ा जा सकता है। कृ, भू, स्था, अन्, ज्ञा, युज्, गम्, मन्, जन्, दृश् आदि कुछ प्रमुख धातुएँ हैं।
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हमें नमंती की जड़ धातु प्रदान करने के लिए कहा जाता है। सही उत्तर होगा नमंत I
- संस्कृत में सभी शब्दों को मूल शब्दों में तोड़ा जा सकता है।
- निर्मित शब्दों के मूल रूप को धातु कहते हैं।
- धातु वह मूल तत्व है जिससे शब्द बनते हैं।
- धातु शब्दों के लगभग दो हजार बारह शब्द हैं।
- सभी संज्ञा और विशेषण इन शब्दों में प्रत्यय और उपसर्ग जोड़कर बनते हैं।
- प्रत्यय वे अक्षर होते हैं जो पहले से मौजूद शब्द के अंत में एक नया शब्द बनाने के लिए लिखे जाते हैं।
- उपसर्ग वे अक्षर होते हैं जो पहले से मौजूद शब्द की शुरुआत में एक नया शब्द बनाने के लिए लिखे जाते हैं।
- कुछ मूल धातु शब्द भु, ज्ञान, युज आदि हैं।
- तो हर शब्द के लिए धातु होगी।
- नमंती का धातु शब्द है नमंत I
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