namak daroga khani ka saransh likhiye
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नमक का दारोगा कहानी का सारांश- केंद्रीय भाव मुंशी प्रेमचंद की कहानी नमक का दारोगा उस समय से संबन्धित है जब भारत मे नमक बनाने और बेचने पर कई तरह के टैक्स लगा दिये गए थे। इस कारण से सभी भ्रष्ट अधिकारियों की चाँदी हो गई थी। ... किस्मत से मुंशी बंशीधर को नमक विभाग मे दारोगा के पद पर नौकरी मिल जाती है।
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