namak ka daroga path se hame rishwatkhori or bhrashtachar ke bare me kya pata chalta hai
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नमक का दरोगा पाठ से हमें रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के बारे में यह पता चलता है कि रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार चाहे जितने भी बढ़ जाए मगर इमानदारी के सामने उसको घुटने टेकने ही पढ़ते हैं पड़ते हैं... जिस प्रकार पंडित अलोपीदीन को मुंशी वंशीधर के सामने अपने घुटने टेकने पड़े थे उनकी ईमानदारी के आगे उनका रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार बिल्कुल भी नहीं टिक पाया और अंत में मुंशी वंशीधर की जीत हुई..
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