namak ka droga ka saransh
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नमक का दरोगालक्ष्य:
ईमानदारी एवं कर्तव्यनिष्ठ समाज का निर्माण करना !
उद्देश्य:
ईमानदारी एवं कर्तव्यनिष्ठ समाज का निर्माण करना ! पाठकों में ईमानदारी एवं कर्तव्यनिष्ठा की भावना जाग्रत करना !
सारांश:
नामक का दरोगा कहानी समाज की यथार्थ स्थिति को उदघाटित करती है मुंशी वंशीधर एक ईमानदार और कर्तव्यपरायण व्यक्ति है ,जो समाज में ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा की मिशाल कायम करता है |पंडित अलोपीदीन दातागंज के सबसे अधिक अमीर और इज्जतदार व्यक्ति थे! जिनकी राजनीति मैं भी अच्छी पकड़ थी! अधिकांश अधिकारी उनके अह्सानतले दबे हुए थे! अलोपीदीन ने धन के बल पर सभी बर्गों के व्यक्तियों को गुलाम बना रखा था! और वह पैसे कमाने के लिए नियमविरुद्ध कार्य करता है ! दरोगा मुंशी वंशीधर उसकी नमक की गाड़ियों को पकड़ लेता है, और अलोपीदीन को अदालत मैं गुनाह गर के रूप मैं प्रस्तुत करता है ! लेकिन बकील और प्रशाशनिक आधिकारी आदि ने उसे निर्दोष सावित कर दिया और वंशीधर को नौकरी से वेदखल कर दिया ! इसके उपरांत पंडित अलोपीदीन, वंशीधर के घर जाके माफी मांगता है और अपने कारोवार मैं स्थाई मनेजेर वनादेता है तथा उसकी ईमानदारी और कर्त्तव्य निष्ठा के आगे नतमस्तक हो जाता है!
पाठ्यक्रम प्रश्नोत्तरी:
पंडित अलोपीदीन कौन था ?मुंशी बंसीधर किस पद पर आसीन थे ?क्या धन पर धर्म की विजय हुई ?नमक का दरोगा की कहानी के लेखक का परिचय लिखिए ?
ईमानदारी एवं कर्तव्यनिष्ठ समाज का निर्माण करना !
उद्देश्य:
ईमानदारी एवं कर्तव्यनिष्ठ समाज का निर्माण करना ! पाठकों में ईमानदारी एवं कर्तव्यनिष्ठा की भावना जाग्रत करना !
सारांश:
नामक का दरोगा कहानी समाज की यथार्थ स्थिति को उदघाटित करती है मुंशी वंशीधर एक ईमानदार और कर्तव्यपरायण व्यक्ति है ,जो समाज में ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा की मिशाल कायम करता है |पंडित अलोपीदीन दातागंज के सबसे अधिक अमीर और इज्जतदार व्यक्ति थे! जिनकी राजनीति मैं भी अच्छी पकड़ थी! अधिकांश अधिकारी उनके अह्सानतले दबे हुए थे! अलोपीदीन ने धन के बल पर सभी बर्गों के व्यक्तियों को गुलाम बना रखा था! और वह पैसे कमाने के लिए नियमविरुद्ध कार्य करता है ! दरोगा मुंशी वंशीधर उसकी नमक की गाड़ियों को पकड़ लेता है, और अलोपीदीन को अदालत मैं गुनाह गर के रूप मैं प्रस्तुत करता है ! लेकिन बकील और प्रशाशनिक आधिकारी आदि ने उसे निर्दोष सावित कर दिया और वंशीधर को नौकरी से वेदखल कर दिया ! इसके उपरांत पंडित अलोपीदीन, वंशीधर के घर जाके माफी मांगता है और अपने कारोवार मैं स्थाई मनेजेर वनादेता है तथा उसकी ईमानदारी और कर्त्तव्य निष्ठा के आगे नतमस्तक हो जाता है!
पाठ्यक्रम प्रश्नोत्तरी:
पंडित अलोपीदीन कौन था ?मुंशी बंसीधर किस पद पर आसीन थे ?क्या धन पर धर्म की विजय हुई ?नमक का दरोगा की कहानी के लेखक का परिचय लिखिए ?
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3
plz mark as brain list and thank
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