नमक की पुड़िया ले जाने के संबंध में सफ़िया के मन में क्या द्वंद्व था?
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नमक की पुड़िया ले जाने के संबंध में सफ़िया के मन में यह द्वंद्व था कि वह नमक की पुड़िया को वह कैसे ले जाएगी। सोच रही थी कि अगर इसे हाथ में ले ले और कस्टम वालों के सामने सबसे पहले इसी को रख दे? लेकिन अगर कस्टम वालों ने नहीं जाने दिया तो मजबूरी में हम छोड़ देंगे । लेकिन फिर उस वायदे का क्या होगा , जो हमने अपनी मां से किया है। जान देकर भी वायदा पूरा करना होगा। वह सोचने लगी, यदि इस पुड़िया के कीनुओं को टोकरी में रख लिया जाए तो इन कीनुओं के ढेर में भला इसे कौन देख पाएगा ?और अगर देख लिया? वह चिंतित होने लगी।
दूसरे ही क्षण में सोचने लगी नहीं, फलों की टोकरियां तो आते समय भी किसी की नहीं देखी जा रही थी । हिंदुस्तान से केले तथा पाकिस्तान से कीनू सब ऐसे ही ले जा रहे थे। बस यही द्वंद्व उसके मन में चल रहा था।
आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।
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उत्तर:- नमक की पुड़िया ले जाने के संबंध में सफ़िया के मन में यह द्वंद्व था कि प्यार के इस तोहफे नमक की पुड़िया को चोरी-छिपे ले जाए या कस्टम अधिकारियों को दिखाकर ले जाए।