नमक का दरोगा कहानी के आधार पर वर्तमान समय के सामाजिक यथार्थ के बारे अपने विचार स्पष्ट कीजिए
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¿ नमक का दरोगा कहानी के आधार पर वर्तमान समय के सामाजिक यथार्थ के बारे अपने विचार स्पष्ट कीजिए ?
✎... नमक का दरोगा कहानी के आधार पर वर्तमान समय के बारे में अगर हम विचार करें तो पाएंगे कि स्थितियां पहले की तरह ही है। परिस्थितियां जरा भी नहीं सुधरी हैं बल्कि और अधिक बिगड़ गई हैं। नमक का दरोगा के काल में धन के बल पर न्याय को अपने पक्ष में करवा लिया गया जाता था, लेकिन उस जमाने में वंशीधर जैसे ईमानदार दरोगा तो थे, जिन्होंने ईमानदारी दिखाई और अपने कर्तव्य के लिए अपने पद तक को त्याग कर दिया और अपने कर्तव्य से नहीं डिगे, जबकि आज के समय में तो चारों तरफ भ्रष्टाचार व्याप्त है। पुलिस, न्यायालय, शासन-प्रशासन और धन्ना सेठ सब जगह भ्रष्टाचार व्याप्त है। धन के बल पर कोई भी अनैतिक कार्य को संपन्न करा लिया जाता है, इसलिए स्थितियां पहले से सुधरी नहीं बल्कि बिगड़ी हैं। आजकल नैतिकता का निरंतर पतन होता जा रहा है। वंशीधर जैसे ईमानदार लोग नही रहे, अलोपदीन जैसे लोग भी नही रहे जिनमें थोडी बहुत नैतिकता बची थी, जो आखिर में उन्होंने अपनी गलती मान ली। आज के अलोपदीन तो अपनी गलती भी नही मानेंगे।
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