नमक पाठ में लाहौरी नमक किसने मंगवाया था और सफिया उसे लाने में किस प्रकार सफल होती है?
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नमक कहानी रज़िया सज्जाद ज़हीर द्वारा लिखित गयी एक प्रसिद्ध कहानी है .इस कहानी में आपने भारत पाकिस्तान के विभाजन के बाद सरहद के दोनों तरह के विस्थापित पुनर्वासित जनों के दिलों को टटोलती एक मार्मिक कहानी लिखी है .साफिया अपने एक सिख पडोसी के यहाँ कीर्तन में गयी थी .वहां एक सिख बीवी उसे अपनी माँ की तरह लगी .साफिया ने उन्हें बताया कि वह कल सुबह लाहोर जा रही है ,तो सिख बीवी ने उन्हें लाहोरी नमक लाने के लिए कहा .लाहोर पहुँचने पर साफिया के भाई ने यथास्थिति बताई की भारत नमक ले जाना गैरकानूनी है ,तो बात की धनी साफिया फलों की टोकरी में छुपा पर नमक की पुड़िया रख लेती है .इस प्रकार कस्टम अधिकारीयों के सामने आने पर वह मोहब्बत का तोहफा छुपाती नहीं ,बल्कि सामने रख देती है .लाहोर का कस्टम अधिकारी नमक ले जाने की इजाजत देते हुए देहली को अपना वतन बताता है .इसी प्रकार भारत आने पर अमृतसर में कस्टम अधिकारी बंगाली सुनील दासगुप्त जो की ढाका से हैं .वह अपनी मातृभूमि ढाका के डाभ और नजरुल व रवीन्द्रनाथ की कविताओं को याद करके भावुक हो जाते हैं .वह साफिया को नमक ले जाने देते हैं .जब साफिया अमृतसर के पुल पर चढ़ रही थी तब वह पुल की सबसे निचली सीढ़ी के पास सिर झुकाए चुपचाप खड़ा थे .साफिया सोच रही थी कि किसका वतन कहाँ हैं ? वह जो इस कस्टम के इस तरफ या उस तरफ ?