नन्ही चींटी बार-बार क्यों फिसलती है? From the poem kosis karne walo ki kabhi har nahi hoti
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जब वह दाना लेकर चढ़ती है
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नन्ही चींटी दाना लेकर जब दीवार पर चढने का प्रयास करती है तब सौ बार फिसलती है, मगर वह हार नहीं मानती । लगातार कोशिश करती रहती है और दीवार पार कर जाती है । ठीक उसी प्रकार हमें जीवन में
आनेवाले संघर्ष से डरकर भागना नहीं चाहिए । लगातार प्रयासों के साथ मुकाबल कर जीत हासिल करनी चाहिए।
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